Description: Learning is a life long process and through day to day findings, what i learn is what i write and vice a versa !
नदी एक अनवरत चलते रहने का भाव….
क्या कुछ नहीं कहती.. क्या कुछ नहीं सिखाती। एक ही दिन में कितने भाव दिखा जाती ,जैसे कह रही हो सरस,सलिल ,सौम्य बनो…चंचल, मगन, गम्भीर भी …. प्रकृति ही उसका सच है जो वह स्वयं बता जाती।पहली बार किसी नदी के सौंदर्य को गहराई से जाना … माँ नर्मदा के तट पर,परिमुग्ध कर गय़ा सब ।एक रिश्ता सा लगा क्यूँकि दादी को उनके पिताजी बचपन में “नब्बू” बुलाया करते थे । “नर्बदा” उन्हें प्रिय थी “माँ नर्मदा “।शिवजी की पुत्री जो माना जाता है। कहा जाता है , शिवजी के ध्यान करने पर जो पसीना आया उस से उत्पत नर्मदा , जो अमरकण्टक से निकलकर
शांत रहो पर विस्तृत बनो ,