chhattisgarhturism.blogspot.in - छत्तीसगढ: एक सैलानी की कलम से

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छ त्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के डेढ दशक बाद के बदलाव स्पष्ट दिखाई देते हैं। राज्य ने लगभग सभी क्षेत्रों में विकास के नए आयामों को छुआ है। सड़क, बिजली-पानी, शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य आदि मूलभूत सेवाओं में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही पर्यटन के विकास क्षेत्र में राज्य ने उल्लेखनीय कार्य किया है। केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन ने भारत के शीर्ष-10 राज्यों में अपना स्थान बना लिया है। मंत्रालय से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि सन् 2013 में  2 करोड़ 28 लाख पर्यटक छत्तीसगढ़ आए। यह आं

धरती हरियाली से मस्त सा वन का महीना प्रारंभ होते ही चारों तरफ़ हरियाली छा जाती है। नदी-नाले प्रवाहमान हो जाते हैं तो मेंढकों के टर्राने के लिए डबरा-खोचका भर जाते हैं। जहाँ तक नजर जाए वहाँ तक हरियाली रहती है। आँखों को सुकून मिलता है तो मन-तन भी हरिया जाता है। यही समय होता है श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में अमावश्या को "हरेली तिहार" मनाने का। नाम से ही प्रतीत होता है कि इस त्यौहार को मनाने का तात्पर्य भीषण गर्मी से उपजी तपन के बाद वर्षा होने से हरियाई हुई धरती के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना ही होता है, तभी इसे हरे

प्रा कृतिक सुषमा से भरपूर अद्भुत सौंदर्य एवं प्राचीन गढ़ों के प्रदेश छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने नैसर्गिक रुप से अनुपम शृंगार दिया है। शस्य श्यामला धरा के मनमोहक शृंगार के संग यहाँ के प्राचीन मंदिरों, बौद्ध विहारों एवं जैन विहारों में मानवकृत अनुपम मिथुन शिल्प सौंदर्य का दर्शन होता है। कलचुरियों, पाण्डूवंशियों एवं नागवंशियों ने अपने कार्यकाल में भव्य मंदिरों एवं विशाल बौद्ध विहारों का निर्माण कराया। इसके साथ ही अन्य शासकों द्वारा निर्मित मंदिर भी मिलते हैं। निर्माण कार्यों में शिल्पकारों ने अपनी कला कौशल का प्रभा

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