71 साल पहले एक बीज बोया गया था, जो आज फलों-फूलों से लदा वृक्ष बनकर समाज को सदविचारों की छाया दे रहा है. देश के आज़ादी प्राप्त करने के पांच वर्ष बाद ही 1952 में स्वर्गीय श्री गोपाल नेवटिया ने हिंदी में एक डाइजेस्ट प्रकाशित करने की ज़रुरत महसूस की थी. इसी कामना ने नवनीत को जन्म दिया, जो पिछले 71 साल से निरंतर प्रकाशित हो रहा है. आज नवनीत संभवतः हिंदी की सबसे पुरानी मासिक पत्रिका ही नहीं है,देश की सबसे महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में इसकी गणना होती है. साहित्य, संस्कृति और समाज की धमनियों को समझने, उनकी धड़कनों को
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