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गुज़रा लम्हा, शाख़ से, कैसे तोड़ दूँ मैं ।बहते दरिया का भला रुख़, कैसे[…]
हाँ मुझे रूह की गहराई में खो जाने दो ।अपनी आग़ोश की परछाई में[…]